मेरा उपन्यास ’अंजुरी भर नेह’ के कथानक का ताना-बाना एक निर्धन किंतु कुशाग्र बुद्धि छात्र देवव्रत की जीवन गाथा के रूप में बुना गया है। देवव्रत एक ऐसा स्वाभिमानी विद्यार्थी है, जो कर्मठ होने के साथ-साथ अपनी उस लक्ष्मण रेखा से भी परिचित है जिसे उसे अपने प्रति अनुराग भाव रखने वाली उच्च जाति की रसूखदार परिवार की इकलौती संतान चंदा के साथ बनाए रखनी है। चंदा उसके प्रति मन में पलते अपने अनुराग भाव के चलते उसकी उच्च शिक्षा के खर्च को झेलने में जी जान से मदद करती है। जज बनने की उसकी महत्वाकांक्षा की पूर्ति हेतु वह उसे भरसक प्रेरित करती है। देवव्रत मन ही मन उसे चाहता है लेकिन अपनी अभावग्रस्त, विपन्न पृष्ठभूमि के चलते स्वयं को उसके योग्य नहीं मानता और मौन रहता है। कभी भी खुल कर उसके प्रति अपनी चाहत का इजहार नहीं कर पाता।
अपने अथक परिश्रम से जब उसकी नियुक्ति सिविल जज के रूप में होती है, तब वह चंदा के समक्ष अपने प्रेम को अभिव्यक्त करता है किंतु कुछ प्रारब्ध का खेल, कुछ जाति भेद, सामाजिक स्तर में अंतर, वे दोनों विवाह बंधन में नहीं बंध पाए।
चंदा को वरदान के रूप में एक सुयोग्य उच्च पुलिस अधिकारी पति के रूप में मिलता है। दो बेटों की मां बन कर वह सुखी और संतुष्ट जीवन व्यतीत कर रही होती है।
एक मुद्दत बाद जब देवव्रत चंदा वरदान की जिंदगी में आता है, वरदान बिना किसी पूर्वाग्रह के पत्नी के पूर्व परिचित एवं प्रगाढ़ मित्र देवव्रत की मैत्री स्वीकार कर लेता है।
चंदा और देवव्रत का अलौकिक प्रेम इस उपन्यास का दृढ़ आधार स्तंभ है, जो उपन्यास की संपूर्ण कथा यात्रा में पाठक के मानस पटल पर छाया रहकर मन को असीम सुकून प्रदान करता है। उनका प्रेम बंधन ऐसा बंधन है जो संबंध की पूर्णता तक नहीं पहुंच पाता। उनका प्रेम इतना उदात्त है कि वह किसी रिश्ते के बंधन अथवा नाम का मोहताज नहीं। वह अपने आप में परिपूर्ण है। कृति में वर्णित प्रेम के विविध रूपों में चंदा और देवव्रत का प्रेम आत्मा को स्पर्श कर लेता है। साथ ही पति वरदान का दोनों पर अदम्य विश्वास एक वरदान ही है।
उपन्यास का एक बड़ा हिस्सा चंदा वरदान के दोनों पुत्रों के बचपन, शिक्षा दीक्षा, प्रेम प्रसंग उनमें आने वाली अड़चन समस्याओं का सुलझाव क्रमशः दोनों का विवाह आदि के वर्णन को समर्पित है। उपन्यास के प्रत्येक पात्र को जीवन में उसके हिस्से का स्नेह प्राप्त हो जाता है। अंत में देवव्रत के लिए भी एक आश्रम एवं अनाथालय की संचालिका, केया पाठक के साथ एक सुखद साथ की छांव के संकेत मिलते हैं।