अगले दिन जयति का जन्म दिन था। मीतांशु सुर्ख गुलाबों का एक बेहद खूबसूरत गुलदस्ता और अपनी माँ के हाथों का बना एक केक लेकर कनक हवेली पहुंचा, “जयति, तुम्हारे बर्थडे के लिए माँ और मैंने यह केक बनाया है।”
“ओह आंटीजी ने और आपने, आंटीजी ने तो जरूर बनाया होगा, मैं उन्हें अभी थैंक्यू बोलती हूं। सो स्वीट ऑफ हर, लेकिन मुझे डाउट है कि आपने इसके बनाने में तनिक भी हाथ बंटाया होगा। आप तो यूं ही क्रेडिट ले रहे हैं,” जयति ने तनिक इठलाते हुए कहा।
“भई, मैंने ही इसे इतनी अच्छी तरह से पैक किया, यहां तुम तक पहुंचाया, तो वही बात हुई ना। तो बंदे को इसका क्रेडिट मिलना चाहिए या नहीं?”
“जी बिलकुल मिलना चाहिए, ऐसपी साहब,” मीतांशु की इस बात पर जयति जोर से खिलखिला पड़ी और फिर माँ और मीतांशु के सामने उसने केक काटा।
तभी मीतांशु ने जयति की माँ से कहा, “आंटीजी, आज मेरी छुट्टी है, मौसम भी बेहद सुहाना हो रहा है। चलिये, हम तीनों लौंग ड्राइव पर चलते हैं।”
“अरे बेटा, तुम दोनों चले जाओ, मैं तुम्हारे साथ जाकर क्या करूंगी? यह जयति ही तुम्हारे साथ घूम आएगी। दिन रात बस रेस्त्रां की फंदेबाजी में मशगूल रहती है। थोड़ा मन बहल जाएगा उसका।”
जयति और मीतांशु दोनों लौंग ड्राइव पर निकल पड़े।
मौसम बहुत खुशगवार हो रहा था। धीमी धीमी बूंदा बांदी होने लगी थी। तभी मीतांशु ने गाड़ी एक पार्क के सामने रोक दी, और भीतर चले गए। सामने ही रंग बिरंगे फूलों से भरी क्यारियाँ और हरे भरे दरख्त बहुत सुंदर दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे। कहीं लाल गुलाबी गुलाब के फूल तेज हवा में झूम रहे थे तो कहीं जूही के नन्हें फूलों ने फिज़ा में मदमस्त सुरूर घोला हुआ था। जयति और मीतांशु एक गुलाब के फूलों से लदेफ़दे पोधे के पास लगी बेंच पर बैठ गए।
तभी मीतांशु ने जयति से कहा, “जयति।”
“हूं।”
“अब तुम्हारा रेस्त्रां तो अपने मुकाम तक पहुँच गया। अब आगे क्या करने का इरादा है?”
“मीतांशु, अब मुझे हवेली की पूरी पहली और दूसरी मंज़िल पर बढ़िया होटेल खोलना है। रेस्त्रां की कमाई से जो बचत की है मैंने, उसे होटेल के इनफ्रास्ट्रक्चर बनाने में लगाने का प्लान है, लेकिन यह एक बहुत बड़ा प्रोजेक्ट है मेरा, उसमें बहुत समय लगेगा।”
“बढ़िया, बहुत बढ़िया”। और एक बात बताओ, नीयर फ्यूचर में शादी तुम्हारी सोच में है या नही?”
“नहीं, नहीं शादी के बारे में तो मैंने अभी तक कुछ निश्चित तौर पर नहीं सोचा है। करनी तो है, लेकिन कब, किससे, यह अभी तक नहीं सोचा अच्छी तरह से।”
“भई मैंने तो डिसाइड कर लिया कब और किससे?”
“सच मीतांशु, तुमने सोच लिया? तो जल्दी से बताओ ना, उस खुशनसीब का नाम।”
“तो वह खुशनसीब होगी जो मुझ से शादी करेगी?”
“हां तो बिलकुल, इसमें भी भला कोई शक है? तुममें कमी ही क्या है? स्मार्ट हो, डैशिंग हो। अच्छे परिवार से हो। अच्छे शील स्वाभाव के हो। आईपीऐस जैसी ग्लैमरस सर्विस में हो। किसी भी लड़की को इससे ज्यादा और क्या चाहिए?”
“मैं जिसे पसंद करता हूँ, उसके बारे में श्योर नहीं हूं कि वह भी मुझे पसंद करती है।”
“तो इसमें क्या परेशानी है, पूछ लो सीधे सीधे कि वह भी तुम्हें पसंद करती है या नहीं?”
“नहीं, नहीं, कहीं वह मुझसे गुस्सा हो गई तो? वह मेरी स्वीट सी फ्रेंड है, जिसकी फ्रेंडशिप मेरे लिए बेहद अहमियत रखती है। मैं उससे यह पूछ कर उसे नाराज़ करने की हिम्मत हर्गिज हर्गिज नहीं कर सकता।”
“अरे बाबा, तो सीधे सीधे मत पूछो, थोड़ा घूमा फिरा कर पूछ लो ना।”
“न, न, हिम्मत नहीं होती।”
“अरे अजीब हो, तुम्ही कह रहे हो, तुम्हारी बहुत अच्छी फ्रेंड है, फिर इतना सोचने की क्या जरूरत है? दोस्ती में कैसी फ़ौर्मैलिटी? मैं तो कहती हूं, सीधे सीधे पूछ लो, यही बेस्ट रहेगा।”
“चलो तुम कहती हो तो पूछ लेता हूँ,” और अगले ही क्षण किसी अज्ञात प्रेरणावश मीतांशु ने हाथ बढ़ा कर अपने पास खिलता हुआ गुलाब का एक सुंदर सा फूल तोड़ एक घुटने पर बैठ उसकी आंखों में आंखें डालते हुए उसे फ़ूल देते हुए उससे कहा, “जयति, ज़िंदगी के सफर में क्या तुम मेरी हमराह बनोगी?”
मीतांशु का यह अप्रत्याशित प्रस्ताव सुन जयति हक्की बक्की रह गई। उसने वास्तव में अभी तक अपने भावी जीवनसाथी के बारे में स्पष्टता से कुछ नहीं सोचा था।
अकबकाई सी उसने तनिक हिचकते, सकुचाते मीतांशु से कहा, “मीतांशु, तुम मेरे बेहद अज़ीज़ दोस्त हो। तुम्हारी फ्रेंडशिप मेरे लिए अनमोल है, लेकिन....लेकिन.... मेरी कुछ समझ नहीं आरहा मैं तुमसे क्या कहूं? हम बेस्ट फ्रेंड्स हैं, लेकिन क्या बैस्ट हसबैंड वाइफ भी बन पाएंगे,” आंखों में अनिश्चय और शंका का भाव लिए जयति ने मीतांशु से कहा।
“बेस्ट हसबैंड वाइफ क्यों नहीं बन पाएंगे? हम दोनों बेस्ट फ्रेंड्स हैं, एक दूसरे को बेहद पसंद करते हैं, एक दूसरे की परवाह करते हैं, एक दूसरे की इज्ज़त करते है, तो बिलकुल बेस्ट हसबैंड वाइफ बन पाएंगे। शादी लाइफ लौंग फ्रेंडशिप का ही तो दूसरा नाम है।”
“आई एम नौट श्योर मीतांशु, मैं तुम्हें बेहद पसंद करती हूँ, लेकिन हसबैंड वाइफ के तौर पर भी हमारी यही फीलिङ्ग्स कायम रहेंगी, मैं नहीं कह सकती। मैं इस मुद्दे पर बेहद कन्फ़्यूज्ड महसूस कर रही हूँ।”
“अरे भई,यह फ़ूल यूं ही मेरे हाथ में मुरझा जाएगा, अगर तुमने इसे नहीं लिया और मुझे इस तरह अधर में लटका कर रखा तो।”
“ओह, आई एम सो सॉरी, मीतांशु, आई हैव केप्ट यू वेटिंग....ज़ोर से खिलखिलाते हुए कुनकुनी धूप सी हंसी बिखेरते हुए जयति ने उससे कहा, और फिर अनायास मीतांशु का फूल अपने हाथ में ले उसने उसे अपने होठों से लगा लिया।”
अपनी प्रिय मित्र का यह स्वीट जेश्चर देख मीतांशु का हृदय फूल सा खिल गया और उसने भावविह्वल होते हुए जयति के दोनों हाथ अपने दोनों हाथों में लेते हुए उन्हें चूम लिया। उस एक क्षण में मानो वक़्त उन दोनों के लिए थम सा गया, और वह जयति से बेहद मृदु स्वरों में बोला, “जयति, मुझे तुम्हारा जवाब सुनने की कोई जल्दी नहीं है। टेक यौर ओन टाइम डीयरी, मैं जिंदगी भर तुम्हारी हां सुनने के लिए वेट करूंगा।”
उन क्षणों में जयति का हृदय भी मानो मीतांशु के नेह की ऊष्मा से गुनगुनाउठा और उसने उससे पूछा, “मीतांशु, शादी के बाद तुम्हें मेरे रेस्त्रां, होटल संभालने में कोई आपत्ति तो नहीं होगी न। मेरा काम मेरा पहला प्यार है, मेरा पैशन है, मेरा जुनून है। फिर अभी तो मुझे होटेल भी खोलना है। जिंदगी में मुझे अभी बहुत लंबा सफर तय करना है।”