8: इकरार और वायदे

“तुम जिंदगी में जो करना चाहती हो कर सकती हो। मुझे तुम्हारी किसी बात पर कोई ऐतराज नहीं होगा, मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ। अब यह मात्र तुम्हारा ही नहीं, हम दोनों का पैशन है।”

“हां, एक बात और मीतांशु, अब जब हम दोनों इस मीठे से रिश्ते में बंध ही गए हैं, तो मैं चाहती हूँ कि हम इसे भरपूर समय दें। मैं अगले दो तीन वर्षों तक शादी नहीं करना चाहती। मैं अपनी शादी से पहले हवेली में होटेल की शुरुआत करना चाहती हूँ, क्योंकि इसके लिए मेरा पूरा समय और ध्यान चाहिए होगा। एक बार होटेल खुल जाये, अच्छा चल निकले, शादी मैं तभी करूंगी।”

“जैसा तुम चाहो जयति, माइ लव। तुम्हें अपना पैशन जीने का पूरा पूरा हक़ है। और मैं कभी इसके आड़े नहीं आऊँगा। ये मेरा वादा है तुमसे।”

“ओह मीतांशु, तुम वास्तव में एक जेंटलमैन हो। चलो रेस्त्रां वापिस चलते हैं, माँ वेट कर रही होंगी। हाँ, एक बात और मीतांशु, अगर हमने फ्यूचर में शादी करने के फैसले के बारे में अपने अपने घर में बता दिया तो हम दोनों के ही घर वाले हम पर जल्दी शादी करने के लिए ज़ोर डालेंगे। इसलिए मीतांशु, हम दोनों को ही अपने अपने घर में इस नए रिश्ते के बारे में हवा तक नहीं लगने देनी है। तुम भी इस बात की भनक अपने घर में नहीं लगने दोगे, मुझ से वादा करो।”

“ठीक है, ठीक है, जैसा तुम चाहती हो, वैसा ही होगा।”

वक़्त के साथ दोनों प्रेमियों की प्रेम कहानी रफ़्ता रफ़्ता परवान चढ़ने लगी। साथ ही जयति हवेली की पहली और दूसरी मंजिल पर होटेल खोलने के अपने सपने को मूर्त रूप देने में जी जान से लग गई।

होटेल खोलना इतना आसान न था, लेकिन वक़्त के साथ वह पूजा और अपने विश्वसनीय कर्मचारियों की टीम के सहयोग से अपने इस प्रोजेक्ट में भी कामयाब हुई और हवेली की पहली और दूसरी मंजिल पर जरूरी तोड़फोड़ और निर्माण कार्य करवा उसने पैंतीस अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त कमरों का इंतजाम कर ही लिया।

नियत वक़्त पर होटल में ठहरने वालों की आवाजाही भी शुरू हो गई।

वह दिन उसकी जिंदगी का अविस्मरणीय दिन था जिस दिन पहली बार उसके होटेल के सारे कमरे सैलानियों से भर गए थे। उस दिन वह अपने आपे में न थी। बेइंतिहा खुशी से उसके पांव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। पूरी हवेली को ग्राहकों की रौनक से आबाद देख उसका मन अवर्चनीय खुशी से झूम उठा।

इत्तिफ़ाक से उस दिन दोनों के जीवन का वह यादगार दिन था, जब तीन वर्षों पहले मीतांशु ने जयति से पहली बार अपनी मोहब्बत का इज़हार किया। दोनों आज फिर से उसी पार्क में मिले।

“जयति, मैंने अपना वादा पूरा किया। अब तो तुम्हारा होटेल भी बढ़िया चल निकला है। आज की तारीख में तुम्हारे होटेल का एक एक कमरा बुक्ड है। अब तो तुम्हारा सोचा पूरा हुआ। अब अपनी शादी के बारे में क्या ख्याल है? चलो अब तो शादी कर ही लेते हैं। और इंतज़ार नहीं होता,” मीतांशु ने जयति की आंखों में झांकते हुए कहा।

“एक बात बोलूं मीतांशु,नाराज तो नहीं होगे? होटेल तो खैर बढ़िया चल ही निकला है, लेकिन अब मैं एक और प्रोजेक्ट के बारे में सोचने लगी हूं।”

“अरे भई, अब कौन सा नया प्रोजेक्ट आ गया मेरी जान का दुश्मन? जयति, दिस इज़ वेरी अनफ़ेयर, अब तुम्हें बस एक ही प्रोजेक्ट के बारे में सोचना चाहिए, और वह है हम दोनों की शादी।पहले ही हम होटेल के चक्कर में बहुत लेट हो चुके हैं। अब मुझे तुम्हारे बिना एक एक लम्हा काटना दूभर हो रहा है। रातें बेहद लंबी लगने लगीं हैं। और कितना वेट करवाओगी? तनिक मेरे दिल की भी तो सोचो, बेचारे को कबसे अधर में लटका रखा है।”

“अच्छा जी, अब जनाब की रातें लंबी हो गईं। मुझे तो ऐसा कुछ फील नहीं हो रहा,” जयति ने सलज्ज मुस्कान के साथ नीची निगाहें किए हुए मीतांशु से कहा।

“तुम लड़कियां तो होती ही हार्टलैस हो। इसमें क्या नई बात है,” मीतांशु ने हंसते हुए उससे कहा। खैर बताओ तो सही, आखिर तुम्हारा नया प्रोजेक्ट है क्या?”

“मीतांशु, अपने इस कस्बे में कितनी सारी हवेलियां हैं जिनमें हमारी नायाब आर्टिस्टिक ऐक्सेलेन्स छुपी हुई है। । आज की तारीख में हमारे कस्बे की अधिकतर हवेलियों के मालिक उन्हें चौकीदारों के भरोसे छोड़ कर बड़े बड़े शहरों में रहने लगे हैं। उचित देख रेख के अभाव में हमारी यह गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत आज बेहद खस्ता हाल में हैं। आज जरूरत है तो इस बात की, कि हमारे इलाके की इस बेजोड़ आर्ट के कंजर्वेशन के लिए गवर्नमेंट का भी सपोर्ट मिले। अगर हमारी आर्ट के इस सुनहरे ऐतिहासिक दौर को बचाने के प्रयत्न नहीं किए गए, तो एक दिन यह पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी, और फिर यह महज़ इतिहास बन कर रह जाएगी। इन हवेलियों के मालिकों को भी इनके रख रखाव के बारे में सोचना चाहिए। तो मीतांशु, मैं एक ऐसी संस्था की स्थापना करना चाहती हूं, जिसके माध्यम से इन जर्जर होती हवेलियों में छिपी बेहतरीन आर्ट के कंजर्वेशन के लिए ठोस कदम उठाए जा सकें। मैं हमारी लुप्त होती फ़्रेस्को पेंटिंग की तकनीक को नई पीढ़ी को सिखाने की व्यवस्था भी करना चाहती हूं जिससे हमारी इस दम तोड़ती सांस्कृतिक परंपरा को जीवित रखा जा सके। आखिर देश के सजग, जिम्मेदार नागरिक होने के नाते हमारी भी तो कुछ ज़िम्मेदारी बनती है। हर चीज के लिए सरकार का मुंह ताकना भी तो जायज़ नहीं।”

“ख्याल तो तुम्हारा बहुत अच्छा है, जयति। कभी कभी मुझे तुमसे रश्क होता है, कहाँ से लाती हो अपने अंदर एक के बाद एक प्रोजेक्ट्स हाथ में लेने का और फिर पूरी लगन से उन्हें पूरा करने का जज़्बा? मैं तुम्हारी इस नैवर ऐन्डिंग ऊर्जा देख कर रियली अमेज्ड हो जाता हूँ। अपने मिशन के प्रति तुम्हारे डेडीकेशन और डिवोशन को मेरा सलाम माइ लव।”

“बस, बस मीतांशु, मुझे और चने के झाड़ पर मत चढ़ाओ। बचपन से मेरी आंखों में बस एक ही ख्वाब सजा है, या यों कहो कि मेरे अंदर एक आग सुलगती रही है, जिंदगी में कुछ सार्थक करना है, कुछ ऐसा करना है जो औरों से अलग हो, जो जिंदगी को नए मायने दे। बस यही सोच मुझे हरदम आगे बढ्ने के लिए प्रेरित करती है। मैं बेहद ऐंबीशियस हूँ मीतांशु। यह गलत तो नहीं है न?”

“अरे नहीं नहीं, बिलकुल गलत नहीं। मेरे हिसाब से जिस इंसान के भीतर जिंदगी में कुछ कर गुजरने की आग ना हो, वह इंसान कैसा? मैं वास्तव में अपने आप को बहुत लकी समझता हूं कि मुझे जिंदगी के सफ़र में तुम जैसा पॉज़ीटिव सोच का हमराह मिलने जा रहा है जिससे मुझे हर क्षण जिंदगी के नए मायने मिल रहे हैं, नए पर्सपेक्टिव मिल रहे हैं। आइ विश, तुम सदा यूं ही नए नए सपने देखो और निरंतर उन्हें पूरा करो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं, माइ लव। हां, मुझे एक बात और तुमसे कहनी थी...।”

“थैंक्स अ लॉट मीतांशु, यूं बेशर्त मेरा साथ देने का। मैं भी कम लकी नहीं हूं मीतांशु। मुझे तो कभी कभी डर लगने लगता है अपनी किस्मत से, जो मुझे हर कदम पर मेरा साथ देने वाला, मेरा हौसला अफजाई करने वाला तुम्हारे जैसा मैच्योर लाइफ पार्टनर मिलने जा रहा है। बदलोगे तो नहीं ना कभी मीतांशु,” मीतांशु की बात काटते हुए जयति बोली।

“कभी नहीं माइ लव।”