9: ज़िंदगी अब तुम्हारे हवाले

“हां, तुम और क्या कह रहे थे?”

“हां, हां मैं कह रहा था कि अपने कस्बे की हवेलियों की दम तोड़ती आर्ट के कंज़र्वेशन के लिए जो संस्था खोलने की तुम सोच रही हो, इसे कुछ समय के लिए पेंडिंग रखा जा सकता है। अभी फिलहाल हम दोनों का नैक्स्ट प्रोजेक्ट बस हमारी शादी होना चाहिए। शादी हो जाये, मैं तुमसे वादा करता हूं, मैं भी इस प्रोजेक्ट को बेहद गंभीरता से लूंगा, और हम दोनों मिलकर इस फील्ड में ठोस काम करेंगे। इट्ज़ अ जेंटलमेन्स प्रौमिज़ डीयरी।”

“रीयली, आर यू सीरिअस मीतांशु?”

“ओह जयति, क्या तुम्हें मुझ पर यकीन नहीं?”

“नहीं, नहीं, आइ ऐम सो सॉरी, मैं अपने शब्द वापिस लेती हूं, तुम पर अपने से भी ज्यादा भरोसा है मुझे, ठीक है,पहले हम शादी करेंगे, फिर इस प्रोजेक्ट को हाथ में लेंगे, लेकिन एक बात और है, मैं अपने मन का क्या करूं? मुझे तो शादी के नाम से ही डर लगता है। मीतांशु, क्या ऐसा नहीं हो सकता, हम सारी जिंदगी यूं ही एक दूसरे के साथ अपने इस प्यारे से रिश्ते में बंधे हुए काट दें?”

“ओह जयति, यह क्या बचकानी बातें कर रही हो? शादी तो करनी ही होगी ना माइ लव? उधर तुम्हारी मम्मा और मेरे मम्मी पापा भी हम दोनों की शादी को लेकर बहुत बेसब्र हो रहे हैं। चलो आज हम अपने अपने घरों में अपने रिश्ते के बारे में बता ही देते हैं।”

“चलो ठीक है, लेकिन शादी के नाम से मेरा दिल बैठने लगता है। शादी के बाद भी तुम ऐसे ही बने रहोगे ना मीतांशु, बदल तो नहीं जाओगे ना? बात बात पर टिपिकल हसबैंड की तरह बहस, लड़ाई झगड़ा, टोका टाकी तो नहीं करोगे ना?”

“अरे बाबा, एक बात बताओ, इन तीन सालों में अपना किसी बड़ी बात पर मनमुटाव हुआ क्या? जो थोड़ी बहुत नौंक झौंक भी हुई, वह भी तुम्हारी वजह से।”

“अच्छा जी, मेरी वजह से? तुम्हारी वजह से नहीं?”

“नहीं, बिलकुल नहीं, मैं तो शरीफ़, भोलाभाला बच्चा हूं, तकरार तो हमेशा तुम ही शुरू करती हो।”

“जाओ, मैं तुमसे नहीं बोलती।”

“अच्छा अच्छा रूठो मत, तुम नाराज़ हो जाती हो तो मुझे लगता है मेरी जिंदगी वीरान हो गई। जयति, आज एक वादा करो, मुझसे कभी गुस्सा नहीं होगी।”

“वादा?”

“हूं, पक्का वादा।”

“हां, एक बात और, अभी तक के अपने साथ में क्या मैंने कभी तुम्हारे किसी कदम पर टोका टाकी की, तुम्हें अपनी मर्ज़ी से कुछ करने से रोका?”

“नहीं।”

“तो फिर शादी के बाद ही मैं तुम पर रोक टोक क्यों लगाऊंगा? अपने सारे डर दरकिनार कर दो हनी, और ऐन्जोय दिस ब्युटीफुल फेज़ ऑफ लाइफ। ये सुनहरे पल दोबारा जिंदगी में वापिस नहीं आने वाले।”

“हूं, बात तो तुम सही कर रहे हो, लेकिन अपनी शादी को लेकर एक और टेंशन मुझे खाये जा रहा है।”

“वह क्या?”

“वह यह मीतांशु, कि अभी तो मैं माँ के साथ रहती हूँ, दिन रात, चौबीसों घंटे रेस्त्रां,होटेल पर मेरी नज़र रहती है। लेकिन शादी के बाद तो मुझे तुम्हारे घर शिफ्ट होना पड़ेगा। फिर पूरे समय इनकी मेरी जैसी निगरानी कौन करेगा?”

“अरे भई, अपनी टीम के किसी भरोसेमंद आदमी के रहने का इंतज़ाम हवेली में ही कर देंगे। या फिर पूजा के रहने की व्यवस्था हवेली में कर देंगे। वह अकेली भी है। इससे वह दिन रात होटेल - रेस्त्रां भी संभाल लेगी, और आंटीजी को भी अकेलापन नहीं लगेगा, और दिन में तो तुम रोजाना वहां रहोगी ही।”

“हां, यह ठीक रहेगा। तो पूजा से इस बारे में जल्दी ही बात करके देखती हूँ। मीतांशु, एक बात और, मैं माँ की इकलौती संतान हूँ, तो जब माँ का घोर बुढ़ापा होगा, मतलब उनके हाथ पैर जवाब देने लगेंगे, उन्हें दिन रात मेरी पर्सनल केयर की जरूरत होगी, फिर यह मैं कैसे कर पाऊंगी?”

“अरे माँ की देखरेख तुम अकेली क्यों करोगी भई? उनकी सेवा हम दोनों मिल कर करेंगे। तब होटेल में पूजा या कोई और भरोसेमंद बंदा रहेगा, और माँ को हम अपने साथ अपने घर ले आएंगे।”

“माँ पुराने विचारों की है। अगर वह हमारे घर आ कर रहने के लिए राजी नहीं हुई तो? कितनी बार मैं उनसे कहती हूं, कि बुढ़ापे में आप मेरे साथ ही रहेंगी, तो हमेशा ही वह यह कहतीं हैं, “मैं कोई बेटी के घर जा कर नहीं रहने वाली। कनक हवेली में मेरी डोली आई थी और अब यहां से मेरी अर्थी ही जाएगी।”

“अरे जब हम उन्हें पूरे मान सम्मान से अपने घर लाएंगे तो क्यों तैयार नहीं होंगी? हां अगर बिलकुल ही तैयार नहीं हुईं, तो हम दोनों हवेली में शिफ्ट हो जाएंगे। आखिर तुम उनकी इकलौती बेटी हो और मैं इकलौता दामाद, तो हम दोनों उनका ध्यान नहीं रखेंगे तो और कौन रखेगा?”

“हम दोनों हवेली में शिफ्ट हो जायेंगे, लेकिन फिर तुम्हारे मम्मा पापा अकेले रहेंगे? बुढ़ापे में उन्हें भी तो हमारी जरूरत पड़ेगी मीतांशु?”

“अरे भाई, क्यों इतना टेंशन ले रही हो बेबात? जब उनका शरीर साथ छोड़ देगा, तो मान मनुहार कर हम उन्हें मना ही लेंगे अपने साथ रहने के लिए।फिर हम दोनों मिलकर मेरे माँ पापा और तुम्हारी माँ को संभालेंगे। क्यों परेशान हो रही हो जयति, क्या तुम्हारी माँ मेरी माँ नहीं?”

“थैंक यू, मीतांशु, तुम वाकई में बहुत अच्छे हो। तुमने मेरी एक बड़ी उलझन खत्म कर दी।”

“अरे तुम्हें तो बिना बात के टेंशन लेने का शौक है। फ्यूचर में जब जैसी परिस्थिति आएगी, दोनों मिल कर उसका मुक़ाबला करेंगे। हर वक्त भविष्य की चिंता करना तो कोई सही बात नहीं। बस एक बात गांठ बांध लो, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं और रहूंगा। भरोसा रखो, जिंदगी के किसी भी मोड़ पर तुम्हें अकेला नहीं छोड़ूँगा। आखिर उम्र भर के लिए तुम्हारा हाथ थामने जा रहा हूं। मेरे सुख दुःख तुम्हारे होंगे और तुम्हारे मेरे।”

“ओह, आइ लव यू, मीतांशु। मेरी जिंदगी अब तुम्हारे हवाले।”

“मैंने तो कबकी अपनी जिंदगी तुम्हारे नाम लिख दी। आइ लव यू टू, जयति, विद माइ हार्ट एंड सोल,” मीतांशु ने मृदु मुस्कान बिखेरते हुए कहा, और दोनों लवबर्ड्स एक दूसरे के हाथ में हाथ डाले मुदित मन खुशनुमा गुटरगूं करते हुए कनक हवेली की ओर चल दिये।