हैपी वैलेंटाइन्स डे

हर दिल अजीज, खुशमिजाज मनु जी दोनों हाथों में कुछ पैकेट थामे सड़क पर चल रहे थे। तभी उनके पीछे पीछे चलते हुए रमण जी ने उन्हें पुकारा "अजी मनुजी, इतनी हड़बड़ी में कहां जा रहे हैं?"

"कुछ नहीं, बस घर ही जा रहा हूं। कल मिलते हैं पार्क में। अभी मैं जरा जल्दी में हूं," यह कहते हुए मनु जी ने अपनी चाल तनिक तेज कर दी।

खोजी प्रवृत्ति के रमण जी ने इस बार मनीष जी के हाथ में थमे पैकेट की ओर तनिक ध्यान से देखा। पैकेट में से कुछ सुर्ख गुलाब के फूल झांक रहे थे।

लंबी नाक वाले रमण जी से रहा न गया, और वह मनु जी से दुगनी गति से चलते हुए लगभग दौड़ते हुए उनके निकट जा पहुंचे और तनिक हांफते हुए एक व्यंगात्मक मुस्कान के साथ उनसे बोले, "अमां यार, ये फूल किस लिए ले जा रहे हो? हो न हो जरूर आज वैलेंटाइन डे मना रहे होगे। तौबा, पूरी दुनिया पागल हुई पड़ी है इस वैलेंटाइन डे के पीछे। अरे यार, समझते नहीं हो, यह सब मार्केटिंग के फ़ंडे हैं। कार्ड, फूल, और गिफ्ट बेचने के बहाने हैं। दुकानदारों की चांदी कटती है और आम जनता की जेब। आप जैसे लोगों के पीछे ही तो इन लोगों की दुकानदारी चल रही है। क्या अखबार क्या टीवी...सब पटे पड़े हैं इस वैलेंटाइन डे की खबरों से। और तो और दुकानों पर भी बस आज के दिन कार्ड, और रंग रंगीले दिल छाए हुए हैं। इस विदेशी त्योहार ने बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सबको पागल कर दिया है।"

मनु जी ने एक क्षण के लिए उन्हें देखा। फिर होठों पर एक मंद मंद मुस्कान लाते हुए उनसे बोले, "अरे... रे...रे रमन जी इस उम्र में इतना गुस्सा ठीक नहीं। ब्लड प्रेशर हाई हो जाएगा। चलिए, मेरे घर तसल्ली से बैठते हैं। इस गुलाबी ठंड में आपको अपनी श्रीमती जी के हाथों की अदरक इलायची की कड़क चाय और उनके बनाए हुए मिर्ची बड़े और आलू की कचौड़ी खिलाते हैं। इतने लज्जतदार मिर्च बड़े और आलू की कचौड़ी बनाती हैं हमारी देवीजी कि पूछिए मत। मेरे मुंह में तो अभी से पानी आ रहा है।"

"अजी नेकी और पूछ पूछ। चलिए चलिए।"

अपने घर पहुंचकर मनु जी ने अपनी बीवी को आवाज लगाई, "तुम्हारी कचौड़िएं और मिर्ची बड़े बने या नहीं भई। बन गए हों तो झटपट बढ़िया सी चाय के साथ ले आओ।"

"हां तो रमनजी, आप कह रहे थे कि इस विदेशी त्यौहार ने सब को पागल कर दिया है। अजी त्योहार काहे का, यह तो बस एक मौका है, मौज उमंग से एक दिन बिताने का। मैं पूछता हूं आखिर इसे मनाने में आखिर आपको एतराज क्या है?"

इस बार रमन जी ने तनिक तैश में आते हुए कहा, "अरे, तो आखिर इसे मनाने की तुक भी क्या है। प्यार ना हुआ, नुमाइश की चीज हो गई। अभी मैं पास के मॉल के सामने से आ रहा हूं। आज जिधर नजर घुमाओ, लड़के लड़कियां हाथ में हाथ डाले घूम रहे हैं। हमारी भारतीय संस्कृति क्या यही सिखाती है?"

"बुरा ना मानें, रमन जी। मैं तो जिंदगी का एक एक लम्हा हंसते गाते बिताने में विश्वास रखता हूं। छोटी-छोटी बातों में खुशियां तलाशता हूं। यही वजह है कि हमेशा खुश रहता हूं। भई, आप ही बताइए, जिंदगी एक बार मिलती है, तो उसे हंस बोल कर बिताया जाए या मुंह लटका कर रोते झींकते। यूं ही ज़िंदगी में गम कम नहीं। दोनों बच्चे पास हैं नहीं। अमेरिका में सेटल्ड हैं। अपनी अपनी दुनिया में मगन हैं। तो हम बूढ़ा बूढ़ी ही एक दूसरे के साथ बहाने बहाने से हंसी-खुशी समय बिता लेते हैं । आज हर जगह गुलाबों की बहार है तो सोचा श्रीमती जी को उनके पसंदीदा सुर्ख गुलाब गिफ्ट कर भूली बिसरी यादें ताजा कर लें। तो यह गुलाब ले आया।

उन्हें चॉकलेट बहुत पसंद है तो यह रहीं उनकी चॉकलेट।"

"मनुजी, क्या आपको नहीं लगता है इस त्यौहार ने लोगों को मानो बेशर्मी का लाइसेंस दे दिया है? अभी-अभी पार्क में देखा, वह एक नंबर वाले मिश्राजी और मिश्राइनजी एक-दूसरे का हाथ थामे बेंच पर बैठे गुटरगूं कर रहे थे। तौबा.. तौबा..उनके बेटे बहू मिडिल एजेड होने आए, और इनकी यह चौंचलेबाजी। इन्हें यूं देख वे शर्म से नहीं गड़ जाते होंगे?"

तभी उनकी धर्मपत्नी गर्मागर्म भाप उड़ाती चाय और कचौड़ी और मिर्ची बड़े ले आईं।

"रमन जी गुस्सा थूकिए, और तनिक चाय के साथ हमारी श्रीमतीजी के हाथ के मिर्ची बड़े और कचौड़ी खाइए। अरे यार मिश्राजी और मिश्राइन के हाथ थामने पर आप क्यों गर्म हो रहे हैं? उन्हें यह खुशी देता है तो यही सही। यार, मेरा तो यह फलसफ़ा है, हर धर्म और संस्कृति प्यार का संदेश देती है। प्यार पर तो पूरी सृष्टि टिकी है। अगर एक खास दिन प्यार के जज्बे में डूब कर मना लिया जाए तो क्या नुकसान है? अब देखो, आज के दिन मैं तुम्हारी भाभी की हर बात मानता हूं। भूलकर भी गुस्सा नहीं करता। इस बहाने उन्हें उनके मनपसंद गिफ़्ट्स दे देता हूं। इस तरह हमारा पूरा दिन प्यार और खुशियों से लबरेज बीत जाता है। तो भाई मेरे, हमारी जिंदगी का उद्देश्य खुशियां ही तो है ना। चल तू भी घर जा। भाभी के लिए उनका मनपसंद तोहफा खरीद, और आज का दिन हंसी खुशी बिता।"

"हां यार, मुद्दत हो गई तेरी भाभी को कोई तोहफा दिए। चल तू कहता है तो मैं भी लगे हाथों उसके लिए कुछ गुलाब ले ही जाता हूं।

"कुछ नहीं, एक बड़ा सा प्यारा सा बुके बँधवा कर ले जा। उसे देख कर भाभी के चेहरे पर जो खुशी आएगी, वह अनमोल होगी।"

"चलता हूँ, यार, चल भाई तुझे वैलेंटाइंस डे दिल से मुबारक।"

"तुझे भी मेरे यार। वैलेंटाइन्स डे मुबारक हो।"